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Wednesday, April 10, 2013

धर्म : सहिष्णु होने के दावे में कितनी सच्चाई ?

दोस्तों ! फेसबुक पर धर्म विरोधी टिप्पणी को लेकर राजस्थान के सकराना में धर्म भिरुओं ने हंगामा खड़ा कर दिया | किसी एक धर्म पर टिप्पणी होती तो विवाद का कारण समझ में आता | लेकिन धर्म के प्रति अपने खुले नजरिए का लोगों के बीच रखना कोई अपराध नहीं है | राय से सहमत होने का दबाव नहीं था फिर भी हंगामा बरपा | थाना में पथराव जैसी अराजक घटना को अंजाम मिला | वह भी धर्म के उन अलमबरदारों ने किया जो अपनी जमात को सहिष्णु मानते हैं | साथ ही धर्म को मानने वालों को ईश्वर की उत्कृष्ट संतान | शायद ईश्वर की ऐसी संतानों की सोच और व्यवहार को देख विद्वानों और दाशर्निकों ने धर्म के बारे में अपने विचार व्यक्त किए थे | धर्म के बारे में किसने क्या कहा आप भी पढ़ें -
* सिग्मंड फ्रायड : जब आदमी पर धर्म का दबाव नहीं होता है तो उसके पास सहज और मुकम्मल जिंदगी जीने के ज्यादा मौके होते हैं |
* वॉल्तेयर : धर्म सभी तरह की आस्थाओं और बखेड़ों की जड़ है | वह कट्टरता और अलगाव की जमीन है | वह आदमियत का दुश्मन है |
* ईरानी विद्वान प्रो रामिन जहाँ बेगलू : किसी भी धर्म का अगर कट्टरता से पालन किया जाएगा तो वह बहुसंस्कृति वाले समाज के लिए दिक्कत पैदा करेगा |
* चर्वाक मुनि (आध्यात्मिक संत) : पान पत्ते का हरा रंग , चूने की सफेदी और कत्थे का रंग मिलकर ही लाल बनता है | कोई बताए इसमें ईश्वर का कहाँ योगदान है |
* जैन मुनि सागर जी महराज (आध्यात्मिक संत) : मंदिर ,मस्जिद ,चर्च और गुरुद्वारा को ढाह दो | इनमे भगवान नहीं रहते |
* मिर्जा ग़ालिब (शायर) : हमें मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन / दिल बहलाने को ग़ालिब यह ख्याल अच्छा है |
* मदर टेरेसा (मानवता की पुजारिन) : प्रार्थना करने वाले होंठ से घाव पर मलहम लगाने वाले हाथ अच्छे होते है |
* स्वामी विवेकानंद (आध्यात्मिक दाशर्निक) : मै उस ईश्वर का पुजारी हूँ जिसे लोग मनुष्य कहते हैं |
इनमे कोई मार्क्स और लेलिन के अनुयायी नहीं है | न ही साधारण शख्सियत हैं | लेकिन इनके विचारों से धर्म के कूप मंडूक सोच की जड़ पर प्रहार होती है | फिर इनके बारे में धर्म के अलमबरदार क्या कहेंगे ?

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